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बाण शैया पर महाप्रयाण के इंतज़ार में लेटे भीष्म को अहसास हुआ कि जीवनभर दूसरों के प्रति कर्तव्यों का पालन करते हुए वह ख़ुद के दोषी बन गए। इस ऋण को उतारने का उपाय तलाशना था उन्हें।

भीष्म प्रयाण भाग 1 | नवभारत टाइम्स

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